शराफत दिखाई तो आँखे दिखाई लोगों ने,
बदमाशी दिखाई तो डर से आँखे झुकाई लोगों ने,
समझ नहीं आता आखिर दुनिया चाहती क्या हैं,
दुनिया को आखिर समझ क्यूँ नहीं आता हैं,
इतनी दुविधा किस लिए,
ये दो रास्तो पर चलना किस लिए,
हाँ या नहीं में अक्सर टक्कर हो जाया करती हैं,
जिन्दगी के दूध में नीबूं डालने से दूधों की लस्सी बन जाया करती हैं,
जिस से कड़ी बना सकते हैं,
और साथ में चावल भी…..😀😀😀😀😀😊
पर जिन्दगी की कड़ी नहीं,
ये लोग समझतें क्यूँ नहीं,
न तो खुद चैन से रहते हैं,
न वो हमें चैन से रहनें देते हैं….!!!!!
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Thanks to my all friends….😊
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